क्या 'गरीबी' की गर्त में समा जाएगा भारत, बिखर जाएगी अर्थव्यवस्था ?

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भारत इस समय कोरोनो वायरस की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है। कई राज्यों में लॉकडाउन होने की वजह से उद्योग-धंधे सब बंद पड़े हैं और अर्थव्यवस्था एक बार फिर पटरी से उतर चुकी है। ऐसे में विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि मोदी सरकार देश को गरीबी में धकेल रही है और आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था कि स्थिति और बदतर हो जाएगी। लेकिन इस बीच संयुक्त राष्ट्र (UN) का बड़ा बयान सामने आया है। बीते मंगलवार को अपने एक बयान में UN ने कहा है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 2022 में 10.1 फीसद रहने का अनुमान है।

UN ने कहा कि भारत उस वक़्त विश्व के प्रमुख देशों में तीव्र वृद्धि दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि 2022 में यह वृद्धि दर चीन से भी ज्यादा होगी। रिपोर्ट में चीन की वृद्धि दर 2022 में 5.8 फीसद रहने का जताया लगाया गया है, जो 2021 में 8.2 फीसद की संभावना से कम है। हालाँकि, UN ने यह भी कहा कि 2021 का वृद्धि परिदृश्य अभी बेहद नाजुक नज़र आ रहा है। इसका कारण देश में माहामारी का तेजी से फैलना है। UN ने विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना (WESP) रिपोर्ट की मध्यावधि समीक्षा में कहा कि भारत की वृद्धि दर 2022 में 10.1 फीसद रहेगी। यह जनवरी में जारी रिपोर्ट में 5.9 फीसद वृद्धि के मुकाबले करीब दोगुनी है।

वहीं, मध्यावधि रिपोर्ट में भारत की वृद्धि दर 2021 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है, जबकि 2020 में इसमें 6.8 फीसद की गिरावट का अनुमान था। वहीं, नोमुरा के डॉ. अरुदीप नंदी का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी है। भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ जारी जंग के बीच Nomura India Business Resumption Index (NIBRI) नौ मई को समाप्त सप्ताह में महामारी पूर्व स्तर के 64.5 फीसद पर पहुँच गया है। इस सप्ताह इसमें 5 फीसद की और गिरावट आई है।

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