मायावती ने खेला ब्राह्मण-मुस्लिम कार्ड

संपादकीय

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में ब्राह्मण-मुस्लिम पर दांव लगाया है। बसपा ने सर्वाधिक प्रत्याशी इन्हीं वर्गों से उतारे हैं। सहारनपुर की गंगोह सीट को छोड़कर, पार्टी ने जिन 12 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, उनमें आधे ब्राह्मण-मु्स्लिम चेहरे हैं। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) से लोकसभा चुनाव में किए गए गठबंधन के टूटने के बाद बसपा एक बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले के तहत जनाधार बढ़ाने के प्रयास में है।

वोटबैंक में सेंधमारी
बसपा का प्रयत्न है कि ब्राह्मण कार्ड के जरिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में और मुस्लिम कार्ड के माध्यम से सपा के वोटबैंक में सेंधमारी कर अपना जनाधार मजबूत किया जाए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में सपा के 5 के मुकाबले 10 सीटें जीतने वाली बसपा को भले ही मुस्लिम वोट मिल जाएं, लेकिन सबसे मजबूती के दौर में खड़ी भाजपा के कोर ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगा पाना बसपा के लिए आसान काम नहीं होगा। 13 सीटों में फिलहाल हमीरपुर को लेकर ही निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है। जिसके अनुसार यहां 23 सितंबर को मतदान और 27 सितंबर को मतगणना कर परिणामों का ऐलान किया जाएगा।

बसपा ने कई सीटों पा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे
बसपा ने मुस्लिम वोटों के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली रामपुर सदर, हमीरपुर और घोसी सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। हमीरपुर से नौशाद अली, रामपुर सदर से जुबैर मसूद खान और घोसी से अब्दुल कयूम को पार्टी ने टिकट दिया है। इसी तरह पार्टी ने लखनऊ कैंट, गोविंद नगर(कानपुर) और जलालपुर से ब्राह्मण चेहरों को मैदान में उतारा है। उन्होंने लखनऊ कैंट से देवी प्रसाद तिवारी, गोविंद नगर से देवी प्रसाद तिवारी और जलालपुर सीट से पार्टी सांसद रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय को प्रत्याशी बनाया है। इन सीटों पर ब्राह्मण वोटरों की अच्छी-खासी तादाद है।

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