अमेरिका—ईरान युद्ध: कौन उन्नीस कौन बीस!

विदेश

पूरी दुनिया की नजर इस वक्त ईरान और अमेरिका पर है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ बगावत की बिगुल फूंक रखा है। अमेरिका ने ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया, तो जवाब में बुधवार की सुबह अमेरिका के इराक स्थित सैन्‍य ठिकानों पर ईरान ने दर्जनों मिसाइल दागे। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इन दोनों देशों के बीच युद्ध होगा।

यदि इन दोनों देशों के बीच युद्ध होगा, तो सबसे ताकतवर कौन साबित होगा। दोनों देशों के सैन्य ताकत का आकलन करें तो...

अमेरिका के अनुसार ईरान के पास कुल छह लाख सक्रिय सैनिक और पांच लाख रिजर्व सैनिक हैं, वहीं अमेरिका के पास तेरह लाख सैनिक हैं।

युद्ध लड़ने के लिए टैंक, युद्धक वाहन, तोप आदि की आवश्कता होती है। इस मामले में भी अमेरिका ईरान से काफी मजबूत है। बात अगर समुद्री ताकत की करें तो ईरान के पास नवल शिप, पनडुब्बी, माइन वारफेयर आदि मिलाकर कुल संख्या 398 है। अमेरिका के लिए यह संख्या 415 है। वहीं परमाणु हथियारों के मामले में भई अमेरिका इसमें भी ईरान से काफी आगे है।

उल्लेखनीय है कि 90 प्रतिशत परमाणु हथियार सिर्फ रूस और यूएस के पास हैं। 2018 में अमेरिका के पास कुल 6450 परमाणु हथियार थे। वहीं माना जाता है कि ईरान के पास एक भी परमाणु हथियार नहीं है, हालांकि ईरान खतरनाक मिसाइल वाला देश है। उसके पास 2000 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल है।

हर मामले में बेशक ईरान, अमेरिका से कम ताकतवर दिख रहा हो, लेकिन अगर दुनिया के दो सबसे ताकतवर देशों में शुमार रूस और चीन ईरान की मदद के लिए आगे आते हैं, तो मामला उलटा पड़ जाएगा। वर्तमान स्थिति को देखते हुए साफ है कि चीन और रूस ईरान का ही साथ देंगे, क्योंकि ईरान के जनरल सुलेमानी की हत्‍या के बाद गत मंगलवार रूसी राष्‍ट्रपति ब्‍लादिमीर पुतिन सीरिया पहुंचे थे, जो ईरान का सहयोगी देश है। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने भी सुलेमानी की हत्‍या की कड़ी आलोचना की थी। इसके अलावा अमेरिका की बात करें तो उसे सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, कतर और इजरायल जैसे देश समर्थन दे सकते हैं, क्योंकि ईरान शिया बहुल देश है और सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, कतर और इजरायल सुन्नी बहुल देश हैं।

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