6 महीने मुखीमठ में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु

उत्तराखंड, देश

देहरादून: उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2023 को लेकर नई खबर आ रही है। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अन्नकूट पर्व पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ 11 बजकर 45 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। तत्पश्चात, मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ मुखबा के लिए रवाना हुई। बुधवार को डोली मुखबा पहुंचेगी। अब भक्त आगामी 6 महीने तक मुखीमठ में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे। मंगलवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने की तैयारी प्रातः 8 बजकर 30 पर आरम्भ हुई। सर्व प्रथम उदय बेला पर मां गंगा के मुकुट को उतारा गया। इस बीच भक्तों ने मां के भोग प्रतिमा के दर्शन किए।

 

तत्पश्चात, अमृत बेला स्वाती नक्षत्र प्रीतियोग शुभ लग्न पर ठीक 11.45 पर गंगोत्री धाम के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ बंद किए गए। इस के चलते तीर्थ पुरोहितों ने विशेष पूजा व गंगा लहरी का पाठ किया। डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। नवीं बिहार रेजिमेंट के बैंड की धुन तथा परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप के साथ 11. 50 पर तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के लिए पैदल रवाना हुए। रात्रि विश्राम के लिए गंगा की डोली मुखबा से चार किलोमीटर पहले चंदोमति के देवी के मंदिर में पहुंचेगी।

 

वही उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की दिन्नक का भी ऐलान हो चुका है। भैया दूज के मौके पर केदारनाथ धाम के कपाट 15 नवंबर को बंद होंगे। बुधवार प्रातः से ही कपाट बंद होने की तैयारी आरम्भ कर ली जाएगी, जबकि तीर्थ-पुरोहितों की उपस्थिति में प्रातः 8 बजकर 35 मिनट में बंद होंगे। जबकि, उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम के कपाट भी 15 नवंबर को बंद होंगे। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की दिनांक भी निर्धारित हो चुकी है। बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को शीतकालीन के लिए बंद कर दिए जाएंगे। तीर्थ-पुरोहितों की उपस्थिति में दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर कपाट को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाएगा। ध्यान हो कि बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को दर्शनार्थ खोले गए थे। आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष अप्रैल-मई में चारों धामों के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं तथा अक्टूबर-नवंबर महीने में कपाट को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है।

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