मुश्किल में फंसी एयर इंडिया

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ब्रिटेन की आयल कंपनी केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) ने भारत सरकार से 1.2 अरब डॉलर वसूलने के लिए एयर इंडिया को अमेरिका की अदालत में घसीटा है। अमेरिका के एक जिला अदालत की फाइलिंग में यह बात सामने आई है। इसका उद्देश्य भारत सरकार पर भुगतान के लिए दबाव बनाना है। रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला दिया था और भारत सरकार को कंपनी को 1.2 अरब डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया था। यह फैसला दिसंबर 2020 में आया था।

केयर्न ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट की कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल किया। इसमें कहा गया है कि एयर इंडिया भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी है। कंपनी का कहना है कि भारत सरकार पर उसकी बकाया राशि को इसी कंपनी (एयर इंडिया) से वसूल किया जाना चाहिए। इस मामले में एयर इंडिया और भारत सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे पहले केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा था है कि वे अपने विदेशी करेंसी अकाउंट्स से रकम निकाल लें।

इसका कारण है कि सरकार को डर सता रहा है कि आर्बिट्रेशन यानी मध्यस्थ के निर्णय के बाद केयर्न एनर्जी इन बैंकों का कैश सीज करने का प्रयास कर सकती है। भारत सरकार ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में चुनौती दी है, वहीं दूसरी ओर केयर्न एनर्जी ने विदेशों में भारत सरकार की संपत्ति की पहचान करना आरंभ कर दिया है। इनमें सरकारी बैंकों के विदेशी खाते भी शामिल हैं। यदि केयर्न और भारत सरकार के बीच सेटलमेंट नहीं हुआ तो कंपनी इन खातों को सीज कर सकती है।

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