"मंदिर या मस्जिद"

संपादकीय

अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में 36वें दिन की सुनवाई आज की जाएगी। शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार हिन्दू पक्षों को आज अपनी जिरह पूरी करनी होगी। मंगलवार को 35वें दिन की सुनवाई में हिन्दू पक्ष के वकील परासरन ने भगवत गीता के कुछ श्लोक का हवाला देते हुए जन्मस्थान को एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में माने जाने वाले स्थान पर जोर दिया था।

परासरन ने कहा था कि यदि लोगों का भरोसा है कि किसी जगह पर दिव्‍य शक्ति है तो इसको न्यायिक व्यक्ति माना जा सकता है, जिसका दिव्य अभिव्यक्ति से कोई फ़र्क़ न हो। परासरन ने कुड्डालोर मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा था कि कुड्डालोर मंदिर में भी कोई प्रतिमा नहीं है और मात्र एक दीया जलता है, जिसकी पूजा की जाती है। राजीव धवन ने परासरन की दलील पर बीच में ही टोकते हुए कहा था कि इनके सभी उदाहरण में मंदिर था, यह एक मंदिर के रूप में बताया गया है। धवन ने कहा कि लोगों की आस्था के साथ पूजा स्थल को मंदिर कहा जा सकता है, मंदिर पूजा स्थान के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है।

राजीव धवन ने कहा था कि केवल कुछ यात्रियों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि वहां पर मंदिर स्थित था। हिंदुओं ने वहां पर पूजा इस स्थान से आरंभ की। न्यायमूर्ति भूषण ने पूछा था कि क्या एक या दो न्यायिक व्यक्ति होंगे, भूमि और राम? परासरन ने कहा था कि वहां पर दो से अधिक न्यायिक व्यक्ति होंगे। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा था कि इनमें से कुछ मुख्य देवता होते हैं और अन्य भी होते हैं। परासरन ने कहा था कि मंदिर में एक प्रमुख देवता होता है और अनेक रूपों में उस देवता की पूजा की जाती हैं। परासरन ने कहा कि हम न्यायालय को न्याय का मंदिर कहते हैं। हमारे पास कई न्यायाधीश हैं, किन्तु हम पूरे को एक संस्था न्यायालय कहते हैं।

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