सुदूर अंचलों तक उच्च शिक्षा व्यवस्था की पहल

मध्यप्रदेश

भोपाल। भारत का उच्च शिक्षा तन्त्र अमेरिका और चीन के बाद विश्व का सबसे बड़ा उच्च शिक्षा तंत्र है। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने इस तंत्र को सशक्त बनाने की पहल शुरू की है। यह प्रयास किया जा रहा है कि प्रदेश के विश्वविद्यालय, महाविद्यालय इतने सक्षम और सर्व-सुविधा सम्पन्न बनें कि हमारे छात्र-छात्राओं को यहाँ उच्च शिक्षा की सभी विश्व-स्तरीय सुविधाएँ मिलें। भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने विदेश नहीं जाना पड़े बल्कि विदेशी छात्र-छात्राएँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित हों।

प्रदेश में पहली बार वर्ष 2019 में तहसील और ग्राम स्तर तथा सुदूर आदिवासी अंचल तक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इस दौरान हर स्तर पर महाविद्यालयों में अधोसंरचना विकास के कार्यों को बढ़ावा दिया गया जिससे विद्यार्थियों में उच्च शिक्षा के प्रति रुचि पैदा हो। राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा को कम्युनिकेशन स्किल और रोजगार से जोड़कर विद्यार्थियों को रोजगार की समस्या से निजात दिलाने की व्यवस्था स्थापित की है।

प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को भारतीय संस्कृति की गुरुकुल परम्परानुसार सभी विषयों की उच्चतम शिक्षा का केन्द्र बनाया जा रहा है। गुरुकुल वास्तव में सावास विश्वविद्यालय (रेसीडेंशियल यूनिवर्सिटी) थे। उसी तर्ज पर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अधोसंरचना विकास के कार्य कराये जा रहे हैं। प्रारंभिक तौर पर प्रदेश के चुने हुए 200 महाविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा व्यवस्था और अधोसंरचना विकास के लिये नवाचार शुरू किये गये हैं।

राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित सहायक प्राध्यापकों, लायब्रेरियन्स और खेल अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन कर दिया गया है। सभी शासकीय और अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षा सत्र-2019 से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में विद्यार्थियों को पोर्टल शुल्क से पूरी छूट दी गई। इसी वर्ष पहली बार देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से A+ ग्रेड मिली।

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