केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर जारी विवाद

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केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर जारी विवाद के बीच आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि इस परियोजना से प्रति वर्ष 1000 करोड़ रुपए की बचत होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार दिल्ली में विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालयों के किराए पर वार्षिक लगभग 1000 करोड़ रुपए खर्च करती है। ऐसे में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत न सिर्फ आधुनिक तकनीक से लैस, भूकंपरोधी, तीन गुना बड़ा और खूबसूरत भवन मिलेगा, बल्कि एक ही परिसर से केंद्र सरकार के सभी 51 मंत्रालय संचालित हो सकेंगे।

उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार के कई दफ्तर अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं और कई किराए के भवनों में संचालित होते हैं, जिनके लिए बड़ी रकम की जरुरत होती है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद तमाम दफ्तर एक जगह पर आ जाएँगे। इससे न सिर्फ किराए की बचत होगी, बल्कि बेहतर कार्यस्थल के साथ अच्छा कोर्डिनेशन होगा।” बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत कुल 10 नए भवनों का निर्माण होगा, जबकि राजपथ के दोनों तरफ मौजूद ढाँचे को तोड़ा जाएगा।

एक नया संसद भवन, एमपी कार्यालय, पीएम और भारत के उपराष्ट्रपति के लिए नए आवासों का निर्माण किया जाएगा। राजपथ में केंद्रीय विस्टा एवेन्यू को फिर से बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट की कुल लागत तक़रीबन 20000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जिसके 2026 तक पूरा होने की संभावना है। मौजूदा विरासत भवनों में से किसी को भी प्रोजेक्ट के तहत तोड़ा नहीं जाएगा। वर्तमान में सिर्फ नया संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बनाया जा रहा है।

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