लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा को लेकर किसानों और अधिकारियों से बातचीत

उत्तर प्रदेश


उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा को लेकर किसानों और अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद समझौता हो चुका है। योगी सरकार ने हिंसा में मरने वाले किसानों के परिवार को 45 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा करने के बाद उनके परिजनों को चेक भी दे दिए हैं। मरने वालों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का भी ऐलान किया गया है। वहीं हिंसा की न्यायिक जांच करने का भी वादा किया गया है। यह जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में होने वाली है। लेकिन इन सबके बाद भी इस मुद्दे को लेकर सियासत लगातार जारी है और कांग्रेस से लेकर सपा-आप आदि तमाम विपक्षी दल लखीमपुर मुद्दे को भुनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, क्योंकि आगामी दिनों में वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच एक महिला का वीडियो सामने आया है, जिन्होंने सरकार-विपक्ष और कोर्ट को कटघरे में खड़े करते हुए तमाम राजनेताओं से तीखे सवाल पूछे हैं।


राजनेताओं को लिया आड़े हाथों...
वीडियो में लखीमपुर जाते राजनेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि, हत्या तो हत्या होती है, परन्तु ये केसा न्याय है कि एक हत्या पर 45 लाख रूपए का मुआवजा, वो भी तीन राज्यों की सरकारों द्वारा। लखीमपुर में 8 आदमी मारे गए, मगर मुआवजा केवल 5 आदमियों के ही परिवार को, लाठी तलवार से लैस ये (प्रदर्शनकारी किसान) सामन्य नागरिक नहीं थे, इनसे सहानुभूति दिखाने में सबसे आगे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल, प्रियंका गाँधी, और अखिलेश है। ये सभी बार बार घटना स्थल पर जाने के लिए अड़े है, आखिर क्यों? वीडियो में महिला कहती हैं कि दूसरी तरफ बंगाल में कई लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है, और अब भी रोजाना लोग मारे जा रहे है, और अब तो कश्मीर में पंडित माखनलाल जी, व गरीब रेहड़ी वाले और एक प्रिंसिपल व अध्यापक को भी मौत के घाट उतार दिया गया है।

लखीमपुर कांड क्यों हुआ ?
आखिर अभी तक ये कांग्रेस नेता अखिलेश और चन्नी कश्मीर क्यों नहीं गए। न ही इन्होने उन सभी लोगों के लिए मुआवजे का एलान किया। यह सब इन तथा कथित नेताओं की नियत पर सवाल उठाता है, सवाल यह भी है कि लखीमपुर कांड क्यों हुआ? इसका कारण और कुछ नहीं बल्कि राकेश टिकैत और उसके ही साथी है, ये लोग रोज- रोज दंगे को भड़काते रहेंगे और रोज रोज आदमी मरते रहेंगे। लेकिन ये अपनी रोटियां सेंकते रहेंगे और इन सभी कांड का मुआवजा सरकार देगी। दरअसल, कायदे से ये मुआवजा इन्ही किसान नेताओं की जमीनों को बेचकर दिया जाना चाहिए।

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