अब ग्वालियर जिले के 80 गांवों की 125 आंगनबाड़ियों का बदलेगा सिस्टम

मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में दो वक्त की रोटी के लिए हर रोज काम करने वाले गांवों के मजदूरों के बच्चों के लिए पहली बार महिला एवं बाल विकास विभाग ने कायदे से बाहर सकारात्मक कदम रखा है। ग्वालियर जिले के ऐसे 80 गांव जहां मजदूर और आदिवासी वर्ग के लोग रहते हैं, वहां की 125 आंगनबाड़ियों का सिस्टम ही बदल दिया गया है। इन आंगनबाड़ियों को आंगनबाड़ी के नियत समय पर नहीं बल्कि सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोला जाएगा। वहीं जो डाइट आंगनबाड़ियों में दी जाती है, वह उतनी ही मात्रा में नहीं बल्कि अनलिमिटेड डाइट कर दी गई है।

कार्यकर्ता-सहायिकाओं को आंगनबाडियों में दी जाएगी ट्रैनिंग
वहीं माता-पिता के काम पर जाने की स्थिति में आंगनबाड़ियों में कार्यकर्ता-सहायिकाओं को पेरैंटिंग की ट्रेनिंग भी दी गई है। बच्चों को पालना गृह जैसा माहौल आंगनबाड़ी केद्रों में दिया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग ने पहली बार ऐसे क्षेत्रों में यह प्रयोग किया है। हाल ही में घाटीगांव, डबरा और भितरवार क्षेत्र से अति कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए और यहां से केआरएच के पीआईसीयू व एनआरसी में बच्चों की केयर टेकिंग की जा रही है। ऐसे कई केस सामने आने के बाद यह समझ में आया कि ट्रायबल एरिया और मजदूर वर्ग वाले गांवों में जो आंगनबाड़ियां हैं वहां बच्चे कम समय के लिए पहुंच पाते हैं। इसके पीछे कारण यह कि मजूदर माता-पिता दोनों काम पर निकल जाते हैं और बच्चों को देखने वाला कोई नहीं होता है। न उन्हें कोई खाना समय पर देने वाला होता है न संभालने वाला।

जिले में कई ऐसे क्षेत्र जहां पोषण की सबसे ज्यादा जरूरत..
यही वजह है कि बच्चों की शारीरिक स्थिति खराब हो जाती है,वे कुपोषण के मुंह में चले जाते हैं। जिले के ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जहां पोषण की ज्यादा जरूरत है। इसमें ग्वालियर शहरी क्षेत्र में मल्लगढ़ा क्षेत्र, देहात में डबरा, गिर्द, भितरवार और मुरार के पांच से छह गांव शामिल किए गए हैं। इन क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों के स्टाफ को पहले ट्रेनिंग दी गई है जिससे यह नए ढांचे के तहत सुपोषण की दिशा में बेहतर काम कर सकें। अभी तक आंगनबाड़ियों का समय करीबन चार घंटे का है। इस दौरान बच्चों को आंगनबाड़ियों में डाइट दी जाती है। देहात क्षेत्र में कामगार लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता है, कुछ बच्चों को छोड़ देते हैं तो कुछ साथ काम पर ले जाते हैं। माता-पिता के अलावा परिवार में कोई न होने वालों के लिए भी नियत समय में जाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए अब 8 घंटे का समय चयनित क्षेत्र की आंगनबाड़ियों के लिए किया गया है।

 

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