खाद्यान्न उपार्जन से वितरण तक प्रदेश रहा अव्वल

मध्यप्रदेश

कोविड भी नहीं रोक सका खाद्यान्न वितरण का ट्रक 

कोविड-19 के संक्रमण की विषम परिस्थितियों में भी मध्यप्रदेश में गरीबों को खाद्यान्न वितरण का काम रूका नहीं बल्कि और भी ज्यादा मुस्तैदी से हुआ। यह संभव हुआ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ठोस कारगर रणनीति तैयार कर उसे अमल में लाने से। रणनीति के जरिये राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से हो या वन नेशन-वन राशन कार्ड द्वारा प्रदेश में और प्रदेश के बाहर के राज्यों में कार्यरत अथवा निवासरत प्रदेश के उपभोक्ताओं को राशन पहुँचाया गया।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अन्न उत्सव के रूप में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 37 लाख वंचित हितग्राहियों को पात्रता पर्ची के साथ खाद्यान्न सुरक्षा प्रदान की। प्रदेश के 52 जिलों में एक साथ प्रारंभ हुए अन्न उत्सव की गंभीरता इस बात से पता लगती है कि कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने स्वयं एवं अपने मंत्रीगणों के माध्यम से हितग्राहियों को खाद्यान्न पर्ची देकर किया।

हितग्राहियों को खाद्यान्न सामग्री

हितग्राहियों को राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रति सदस्य एक रूपये प्रति किलो की दर से 5 किलो खाद्यान्न वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत प्रति सदस्य 5 किलो खाद्यान्न एवं एक किलो दाल प्रति परिवार नि:शुल्क नवंबर तक वितरित की गई। प्रति परिवार एक रूपये प्रति किलो की दर से एक रूपये किलो आयोडाईज्ड नमक एवं कलेक्टर द्वारा निर्धारित दर पर प्रति परिवार डेढ़ लीटर केरोसीन का वितरण भी किया गया।

अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम सहित अनेक नए हितग्राही

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अंतर्गत प्रदेश की 75 प्रतिशत आबादी को ही लाभान्वित करने की सीमा निर्धारित होने के कारण 25 श्रेणी के नवीन सत्यापित हितग्राही जैसे फेरी वाले, हम्माल, तुलावटी, केश-शिल्पी, बीपीएल कार्ड धारक, बीड़ी श्रमिक, साइकिल रिक्शा और हाथ ठेला चालक राशन से वंचित रहे हैं। गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 37 लाख नवीन हितग्राहियों को इस अभियान में जोड़ा गया। हितग्राहियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में 5 किलो प्रति सदस्य खाद्यान्न एवं एक रूपये प्रति किलो दाल प्रति परिवार अप्रैल से माह नवंबर-2020 तक नि:शुल्क वितरित की गई।

आत्म-निर्भर भारत - माईग्रेंट लेबर को खाद्यान्न सुरक्षा

राज्य शासन ने आत्म-निर्भर भारत अभियान के अंतर्गत कोविड संक्रमण काल में लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्न सुरक्षा के तहत माईग्रेंट लेबर के एक लाख 9 हजार परिवारों के एक लाख 96 हजार सदस्यों को माह मई एवं जून-2020 में 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति सदस्य एवं प्रति परिवार एक किलोग्राम दाल का नि:शुल्क वितरण किया। इसमें एसडीआरएफ की मद से कुल करीब 31 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न एवं 137 मीट्रिक टन नमक नि:शुल्क प्रदाय कराया गया।

 राज्य एवं राष्ट्रीय योजनाओं में वितरित खाद्यान्न

राज्य सरकार द्वारा 89 आदिवासी विकासखण्डों के पात्र परिवारों को डबल फोर्टिफाइट एवं शेष क्षेत्र के पात्र परिवारों को एक रूपये प्रति किलो प्रति परिवार की दर से आयोडाइज्ड नमक का वितरण कराया गया है। अन्त्योदय अन्न योजना में लगभग 16 लाख अति गरीब परिवारों को एक किलो शक्कर 20 रूपये प्रति किलो की दर से प्रतिमाह दी जा रही है।

भारत सरकार द्वारा गरीब परिवारों के लिए प्रदेश को 2 रूपये प्रति किलो गेहूँ, 3 रूपये किलो की दर से चावल आवंटित किया गया। इसमें गेहूँ पर एक रूपये किलो एवं चावल पर 2 रूपये किलो राज्य सरकार द्वारा अलग से अनुदान दिया जाकर एक रूपये किलो की दर से खाद्यान्न वितरित किया गया है।

कोविड में पीजीकेवाय के अंतर्गत खाद्यान्न वितरित

कोविड संक्रमण में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अंतर्गत 5 करोड़ 44 लाख हितग्राहियों को केन्द्र एवं राज्य शासन की इन हितकारी योजनाओं से प्रतिमाह दस किलो खाद्यान्न के साथ प्रति परिवार एक किलो दाल भी नवंबर-2020 तक नि:शुल्क वितरित की गई। योजना के अंतर्गत 2 लाख 72 हजार मीट्रिक टन खाद्यान्न एवं 11 हजार 600 मीट्रिक टन दाल का आवंटन प्रतिमाह वितरण के लिए दिया गया।

धान उपार्जन में बनाया नया रिकॉर्ड

परिस्थितियाँ कोई भी रही हों, मध्यप्रदेश में धान का रिकॉर्ड उपार्जन 37 लाख 36 हजार मीट्रिक टन किया गया है। विगत वर्ष यह मात्रा 25 लाख मीट्रिक टन थी। इस वर्ष लगभग 7 हजार करोड़ की धान खरीदी गई, जिसमें से 5 हजार करोड़ से ज्यादा राशि किसानों के खातों में अंतरित कर दी गई है।

माह दिसंबर-2020 तक 7 लाख 54 हजार 861 मीट्रिक टन खरीफ फसल का उपार्जन किया जा चुका है। इसमें 5 लाख 39 हजार 8 मीट्रिक टन धान, एक लाख 90 हजार 270 मीट्रिक टन बाजरा एवं 25 हजार 583 मीट्रिक टन ज्वार की खरीदी की गई है।

619 करोड़ रूपये का किसानों का भुगतान

खरीफ उपज की खरीदी के बदले किसानों को ई-पेमेन्ट से अभी तक 619 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा गया है। उपज खरीदी के लिये 1552 उपार्जन केन्द्र स्थापित किये गये। इनमें 1,419 केन्द्रों पर धान की और 133 केन्द्रों पर बाजरे एवं ज्वार की खरीदी की गई है।

7 लाख से अधिक किसानों के पंजीयन का प्रमाणीकरण

खरीफ फसल के विक्रय के लिए 7 लाख 81 हजार 168 किसानों ने पंजीयन कराया था। इनमें से 7 लाख 72 हजार 593 किसानों से उनकी उपज निर्धारित मूल्य पर खरीदी गई। पंजीकृत किसानों में से धान के लिए 7 लाख 18 हजार 541, ज्वार के लिए 14 हजार 65 एवं बाजरे के लिए 39 हजार 987 किसानों के पंजीयन का प्रमाणीकरण किया गया।

5 लाख 67 हजार मी.ट. से अधिक उपज का परिवहन

प्रदेश में अभी तक खरीदी केन्द्रों से गोदाम तक 5 लाख 67 हजार 249 मीट्रिक टन उपज का सुरक्षित परिवहन किया जा चुका है। इसमें 3 लाख 89 हजार 445 मीट्रिक टन धान, एक लाख 77 हजार 804 मीट्रिक टन बाजरा एवं ज्वार का परिवहन कर सुरक्षित गोदाम तक पहुँचाया गया।

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