हाईकोर्ट बेंच में सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों को लेकर असमंजस बरकरार

मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश : ग्वालियर की हाई कोर्ट बेंच में सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों को लेकर असमंजस बरकरार है। तत्कालीन भाजपा सरकार में सरकार का पक्ष रखने के लिये मनोनीत किए गए सरकारी अधिवक्ताओं का कार्यकाल कल यानी गुरुवार को खत्म हो रहा है। इनमें अधिकांश अधिवक्ता ऐसे थे जो भाजपा से कहीं ना कहीं जुड़े हुए थे। चूँकि अब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार है। इसलिए अब कांग्रेस से जुड़े अधिवक्ता अपनी नियुक्ति के लिए जोर लगा रहे हैं।

बता दें कि 40 पदों के लिए लगभग 10 गुना अधिवक्ताओं ने सरकार का पक्ष रखने के लिए सरकारी अधिवक्ता बनने हेतु जोर आजमाइश शुरू कर दी है। नियमानुसार गुरुवार यानी कल दोपहर तक सरकारी अधिवक्ताओं की सूची विधि विधाई मंत्रालय द्वारा जारी करने की संभावना है ।एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि मौजूदा टीम का कार्यकाल कुछ दिनों के लिए बढ़ा दिया जाए। लेकिन जिस तरह से पूर्व में प्रदेश में सरकार बदलते ही अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे विशाल मिश्रा और उप महाधिवक्ता रही अमी प्रबल अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था उससे लग रहा था कि उनकी टीम के बाकी सदस्य भी जल्द इस्तीफा दे देंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सरकार ने उन्हें हटाया नहीं है और ना ही उन्होंने अपना इस्तीफा देने में कोई रुचि दिखाई है।

लिहाजा सरकार के लिए नए अधिवक्ताओं की टीम खड़ी करना चुनौती से कम नहीं है। अपने कार्यकाल को पूर्ण होता देख कई वकील तो सरकारी पक्ष रखने के लिए पिछले कई दिनों से छुट्टी पर चल रहे हैं। चर्चा यह भी है कि पुरानी टीम के कुछ लोग अपने कार्यकाल को बढ़ाने के लिए कांग्रेस नेताओं के संपर्क में है। लेकिन जिस तरह से अधिवक्ताओं की लंबी सूची विधि विधाई मंत्रालय पहुंची है उससे लगता है कि सरकारी अधिवक्ता के चयन में कुछ और समय लग सकता है ।

 

 

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