48 ​घंटेे के अंदर कोमा में पहुंचा सकता है ये खतरनाक वायरस...

संपादकीय

- कृष्णकांत अग्निहोत्री
   संपादक खबरनेट

हाल ही में केरल में फ्रूट बैट /(एक प्रकार का चमगादड़) की पहचान घातक निपाह वायरस के वाहक के रूप में की गई है। फ्रूट बैट कीटभक्षी चमगादड़ से अलग होते हैं। आहार के लिये ये फलों पर निर्भर रहते हैं। फलों का पता लगाने के लिये ये सूँघने की क्षमता का उपयोग करते हैं, जबकि कीटभक्षी चमगादड़ प्रतिध्वनि की सहायता से अपने शिकार का पता लगाते हैं। फ्रूट बैट टेरोपोडीडेई परिवार से संबंधित हैं जो निपाह वायरस के लिये प्राकृतिक वाहक है। फ्रूट बैट दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं और इन्हें फ्लाइंग फॉक्स भी कहा जाता है।

निपाह वायरस, बैट/चमगादड़ के शरीर में मौज़ूद रहता है। चमगादड़ जैसे ही किसी स्तनधारी मनुष्य या सुअर के संपर्क में आता है, वैसे ही निपाह वायरस इनमें प्रवेश कर जाते हैं। भारतीय विषाणु विज्ञान संस्थान के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण सर्वप्रथम टेरोपस प्रजाति के रूप में चिह्नित फ्रूट बैट से हुआ था। बांग्लादेश में इसके प्रकोप के दौरान शोधकर्त्ताओं ने इंडियन फ्लाइंग फॉक्स में निपाह के रोगप्रतिकारकों का पता लगाया था। निपाह संक्रमण के वाहक की पहचान भविष्य में इसे फैलने से रोकने में मदद प्रदान करेगी।

सभी चमगादड़ वायरस के वाहक हो सकते हैं जिनमें से कुछ जानलेवा/घातक भी होते हैं जो इस प्रकार हैं- सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम प्रतिरक्षी/रोग प्रतिकारक कीटभक्षी चमगादड़ में पाए गए। इबोला के प्रतिरक्षी हैमर हेडेड बैट में पाए गए। इंडियन फ्लाइंग फॉक्स 50 से अधिक वायरस का वाहक है। पृथ्वी पर चमगादड़ों की लगभग 1200 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। संख्या के संदर्भ में कुल स्तनधारियों में इनकी भागीदारी लगभग 20 प्रतिशत है। लंबे समय तक उड़ने रहने से चमगादड़ के शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने और रोगाणुओं के रोगजनक प्रभाव से बचने में मदद करता है।

हाल ही में केरल ने राज्य में निपाह वायरस के प्रकोप की पुष्टि की है। निपाह, एक वायरल संक्रमण है। इसका मुख्य लक्षण बुखार, खांसी, सिरदर्द, दिमाग में सूजन, उल्टी होना, साँस लेने में तकलीफ होना आदि हैं। यह वायरस इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। यह आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस एक नई उभरती बीमारी है। इसे निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस भी कहा जाता है। निपाह वायरस एक तरह का दिमागी बुखार है। इसका संक्रमण तेज़ी से होता है। यह संक्रमण होने के 48 घंटे के भीतर व्यक्ति को कोमा में पहुँचा देता है। इसका कोई उपचार नहीं है और अब तक न ही इसका कोई टीका उपलब्ध है। वर्ष 1999 में पहली बार मलेशिया में निपाह वायरस की खोज की गई थी। भारत में इसका पहला मामला वर्ष 2001 में सिलीगुड़ी में सामने आया था। वायरस के प्राकृतिक वाहक फ्रूटबैट होते हैं, जो व्यापक रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाते हैं। लेकिन कुछ समय से भारत में निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं और अब देखना ये होगा कि सरकार इस वायरस से निपटने के लिए कौन से ठोस कदम उठाएगी।

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