परीक्षा पर चर्चा 2020: पीएम नरेन्द्र मोदी

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नई दिल्ली। छात्रों के साथ अपना संबोधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर शुरू किया कि आज का फैशन 'हैशहैग विदाउट फिल्टर' है और हम भी आज बिना फिल्टर के बात करेंगे। इसमें किसी से भी गलती हो सकती है.. मुझसे भी।

मोदी ने कहा कि जैसे आपके माता-पिता के मन में 10वीं, 12वीं को लेकर टेंशन रहती है, तो मुझे लगा आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे हल्का करना चाहिए। मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, तो मैंने समझा कि मैं भी सामुहिक रूप से ये जिम्मेदारी निभाऊं।

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9वीं से 12वीं तक के छात्रों से बातचीत की। यह लगातार तीसरा साल है, जब मोदी छात्रों से परीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं। परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए करीब तीन लाख बच्चों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था।

प्रधानमंक्षी ने कहा, 'आज संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं, सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं, कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है, यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है'।

पीएम मोदी ने बच्चों को चंद्रयान 2 मिशन का उदाहरण देते हुए कहा, 'विफलता के बाद रुके नहीं, आगे बढ़ें। अपेक्षा पूरी नहीं होने पर मूड ऑफ न करें'। उन्होंने कहा, 'युवा पीढ़ी से बात करना मेरा सबसे बड़ा अनुभव है'।

मोदी ने कहा, 'मोटिवेशन और डिमोटिवेशन का सवाल है, दुनिया में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसे ऐसे दौर से न गुजरना पड़ता हो। चंद्रयान को भेजने में आपका कोई योगदान नहीं था, लेकिन आप ऐसे मन लगाकर बैठे होंगे कि जैसे आपने ही ये किया हो। जब सफलता नहीं मिली तो आप भी डिमोटिवेट हुए'।

चंद्रयान 2 मिशन के बारे में उन्होने कहा, 'हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए, तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो'। उन्होने कहा, 'जाने अनजाने में हम लोग उस दिशा में चल पड़े हैं, जिसमें सफलता-विफलता का मुख्य बिंदु कुछ विशेष परीक्षाओं के मार्क्स बन गए हैं। उसके कारण मन भी उस बात पर रहता है कि बाकी सब बाद में करूंगा, एक बार मार्क्स ले आऊं'।

बच्चों के एक सवाल के जवाब में पीएम ने साल 2001 के भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस मैच में राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण आखिर तक डटे रहे और भारत की जीत दिलाई। इसी तरह से अनिल कुंबले के जबड़े में चोट लग गई थी, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने खेलने का संकल्प लिया और टीम को जीत दिला दी।

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