देवोत्थान एकादशी पर शुभ मुहूर्त शुरू.. आज से दांपत्य सूत्र में बंधेंगे जोड़े

उत्तराखंड

पवित्र अग्नि के फेरे लेकर वर और वधु का दांपत्य सूत्र बंधन संस्कार चार महीनों के विराम के बाद देवोत्थान एकादशी के दिन बुधवार से प्रारंभ हो गया है। अब मार्च से रुके हुए विवाह होंगे। वहीं आषाढ़ मास से चल रहा संतों का चातुर्मास भी विष्णु जागरण के साथ शुरू हो जाएगा।

पवित्र कार्तिक मास अब समापन की ओर बढ़ रहा है। विगत आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन राजा बलि को दिया वचन निभाने के लिए विष्णु देवताओं सहित पाताल चले गए थे। तब से चराचर में भगवान शंकर का साम्राज्य चल रहा है। 
बुधवार को विष्णु फिर जगत संभालेंगे और शिव कैलाश चले जाएंगे। विष्णु को जगाने के लिए धर्मभूमि पर घर-घर कांसे का थाल बजाकर मंत्र पढ़े जाएंगे। विष्णु के जागते ही विवाहों का आठ महीने लंबा काल शुरू होग

पंडित प्रियव्रत शर्मा के अनुसार ग्रहों की चाल और बृहस्पति के चलते शेष बचे संवत में भले ही विवाह कम हों, लेकिन संवत बदलते ही काफी नए मुहूर्त रहने वाले हैं। वर्तमान सीजन में शुद्ध मुहूर्त केवल नौ हैं। हालांकि सामान्य मुहूर्त निकाले जा सकते हैं।

देवशयनी एकादशी इस बार एक जुलाई को पड़ी थी। उसी दिन संतों का चातुर्मास प्रारंभ हो गया था। शास्त्रीय मान्यता है कि शंकराचार्य देव जागरण तक के चार महीनों में यात्रा नहीं करते। नदी पार नहीं करते। वे एक ही स्थान पर रहकर साधना और मानव उत्थान के लिए चिंतन करते हैं।

अन्य साधु संत भी इसी मान्यता का अनुसरण करते हैं। बुधवार को संन्यासियों का चातुर्मास संपन्न हो जाएगा। वैष्णव बैरागियों का चातुर्मास गुरुवार को संपन्न होगा। विष्णु के जागते ही संतगण भी अपनी धार्मिक प्रचार यात्राओं पर चल पड़ेंगे।

 

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