बच्चों के लिए और भी घातक हुई कोरोना की तीसरी लहर

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देश में कोविड की दूसरी लहर के बाद अनुमान जताया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर भी जल्द दस्तक दे सकती है और तीसरी लहर में बच्चों के लिए सबसे अधिक संकट है। सभी रिपोर्ट में दावा किया गया है है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। जंहा इस बात का पता चला है कि कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि कोविड की तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे। लैंसेट कोरोना इंडिया टास्क फोर्स ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमे कहा गया है कि कोविड की तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर बच्चों में कोरोना के लक्षण नहीं हैं और वो असिंप्टोमैटिक हैं, बच्चों में हल्का संकर्मण ही नज़र आ रहा है। बच्चों में बुखार और सांस लेने की परेशानी का सामना कर रहे है, साथ ही उनमे डायरिया, उल्टी, पेट में दर्द की शिकायत होती है। करीबन 2600 बच्चे जो हॉस्पिटल में भर्ती हैं उनके आंकड़े लिए गए हैं, इन बच्चों की उम्र 10 वर्ष से कम है। ये बच्चे तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली NCR रीजन के हैं। इन बच्चों की सूचना को इकट्ठा करके इसी के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार कर लिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इन हॉस्पिटल में बच्चों मृत्यु दर सिर्फ 2.4 फीसदी है, जिन बच्चों की मृत्यु हुई है उसमे से 40 प्रतिशत बच्चों को और भी बीमारी थी।



हॉस्पिटल में भर्ती किए गए 9 प्रतिशत संक्रमित बच्चों में गंभीर बीमारी थी। कोविड की दोनों ही लहर में तकरीबन ऐसे ही आंकड़े देखने को मिले हैं। एम्स की डॉक्टर शेफाली गुलाटी, सुशील के काबरा और राकेश लोढ़ा ने इस शोध में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। काबरा ने कहा कि कोविड संक्रमित 5 प्रतिशत से कम बच्चों को भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ी है और जितने भर्ती कराए गए हैं उसमे से सि्फ 2 प्रतिशत की मृत्यु हुई है। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए अगर एक लाख बच्चे संक्रमित हुए तो उसमे से सिर्फ 500 बच्चों को भर्ती कराना पड़ा और जिसमे से सिर्फ 10 बच्चों की मौत हो गई है। मृत्यु की ओर भी वजहे हैं जिसमे मधुमेह, कैंसर, एनीमिया, कुपोषण शामिल है। सामान्य बच्चों में मृत्यु दर बहुत दुर्लभ है।

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