कानूनी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले अब इन शब्दों को हटाया जायेगा

मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में पुलिस की कानूनी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले कई ऐसे शब्द जिनकी उपयोगिता नहीं के बराबर है, उन्हें बदला जाएगा। हाल ही में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस बारे में जानकारी दी है। उनका कहना है, 'जो शब्द प्रचलन में नहीं है रिफ्यूजी शब्द हो गए हैं, उन्हें बदल दिया जाएगा। उर्दू, अरबी और फारसी के कई ऐसे शब्दों को समझने में आम लोगों को भी दिक्कत होती है।'

 

आप सभी को बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बीते सोमवार को कलेक्टर-कमिश्नर कान्फ्रेंस में ‘दस्तयाब’ शब्द को मुगलकालीन बताते हुए सरल शब्दों का उपयोग करने की सलाह दी थी। आपको यह तो पता ही होगा कि उर्दू, अरबी और फारसी के लगभग 350 शब्द पुलिस की रोजमर्रा की कार्रवाई में अभी भी चल रहे हैं, और अब इन्हे बदला जा सकता है। आपको बता दें कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ऐसे कई शब्दों को बदला जा चुका है लेकिन मध्य प्रदेश में यह पहली बार है, जब इन शब्दों को बदलने के निर्देश दिए जा रहे हैं। आप सभी को बता दें कि मुगलकालीन भाषा और शब्दावली का सबसे ज्यादा उपयोग इस समय पुलिस में ही हो रहा है। साल 1861 में जब पुलिस एक्ट बना था उस दौरान अंग्रेजों ने इसकी आधिकारिक भाषा हिंदुस्तानी बनाई।

 

यह हिंदी, उर्दू, फारसी शब्दों का मिश्रण थी। उस समय में हिंदी के साथ ही उर्दू, फारसी और अरबी शब्दों के जानकार भी थे और इसी को देखते हुए इसे अपनाया गया। उस समय से अब तक इन शब्दों का ही इस्तेमाल हो रहा है। आपको यह भी बता दें कि इस लिस्ट में ऐसे कई शब्द हैं, जिनका मतलब समझना मुश्किल होता है। जैसे रोजनामचे। रोजनामचा एक रजिस्टर होता है, जिसमें पुलिसकर्मियों की दैनिक गतिविधियों के साथ ही अपराधों का जिक्र भी रहता है।

 

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