रिएल एस्टेट सेक्टर के लिए नई टैक्स दरें होंगी लागू, फॉर्मूले पर चर्चा शुरू

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जीएसटी काउंसिल की बैठक में मंगलवार को रिएल एस्टेट सेक्टर के लिए नई टैक्स दरें लागू करने फॉर्मूले पर चर्चा हुई। काउंसिल ने ट्रांजिशन के नियम तय किए हैं। बिल्डर्स को राहत देते हुए दो विकल्प दिए गए हैं। पहला- ऐसे अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट जो 31 मार्च तक पूरे नहीं हो रहे हैं उन पर बिल्डर पुरानी दरों (12%, अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए 8%) से जीएसटी चुकाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट ले सकते हैं। लेकिन, ग्राहकों को फायदा मिलना चाहिए।

जानकारी के अनुसार दूसरे विकल्प के अनुसार बिल्डर नई दरों (5% और अफोर्डेबल हाउसिंग पर 1%) से जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं। यह विकल्प चुनने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। तय समय सीमा में पहला विकल्प नहीं चुना तो नई दरें ही लागू होंगी। जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में फैसला हुआ था कि अंडर कंस्ट्रक्शन घरों पर जीएसटी 12% की बजाय 5% और अफोर्डेबल हाउसिंग पर 8% की बजाय 1% लगेगा।

राजस्व सचिव ने कहा- रियल एस्टेट सेक्टर के लिए नई टैक्स व्यवस्था को लागू करने के लिए ट्रांजिशन प्लान को मंजूरी दी गई है। बिल्डरों के पास दोनों ही विकल्प मौजूद रहेंगे और इसके लिए उन्हेें वक्त दिया जाएगा। नई टैक्स व्यवस्था को लागू करने के लिए अभी वक्त लग सकता है। यह 15 दिन या महीना भर भी हो सकता है। इस कदम से रियल एस्टेट सेक्टर को नई टैक्स व्यवस्था में आने वाली अड़चनों से निपटने में मदद मिलेगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि 80% मैटेरियल रजिस्टर्ड डीलर से ही लेना होगा।

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