भारत अफगान के बीच खड़ी चुनौतियों की दीवार

संपादकीय

- कृष्णकांत अग्निहोत्री
   संपादक खबरनेट

अफगानिस्तान जितना अपने तात्कालिक पड़ोसी पाकिस्तान के निकट नहीं है, उससे कहीं अधिक निकटता उसकी भारत के साथ है। भारत अफगानिस्तान में अरबों डॉलर लागत वाले कई मेगा प्रोजेक्ट्स पूरे कर चुका है और कुछ पर अभी भी काम चल रहा है। इसके विपरीत पाकिस्तान पर अफगानिस्तान अपने यहाँ आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाता रहता है। अफगानिस्तान के शीर्ष नेता समय-समय पर भारत दौरे पर आते रहते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में गर्मजोशी का पता चलता है। लेकिन समय-असमय ऐसी गतिविधियाँ भी होती रहती हैं जो दोनों देशों के संबंधों में चुनौती सी प्रतीत होती हैं। कुछ समय पहले भारत-अफगान संबंध उस समय फिर चर्चा में आ गए थे जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका और उसके कार्यों पर उपहासात्मक टिप्पणी की थी। इसके अलावा, अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को हटाने की बात कहकर वहाँ की खराब स्थिति के लिये भारत, रूस और पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया था। तब भारत ने ट्रंप के इस बयान का विरोध किया था।

ऐसे समय में जब अफगानिस्तान में भारत कई बड़ी अवसंरचना परियोजनाएँ और सामुदायिक विकास कार्यक्रम चला रहा है, तब अमेरिका के इस प्रकार के बयान हैरान करते हैं। लेकिन साथ ही सवाल भी उठता है कि अमेरिका के इस प्रकार के बयानों के मायने क्या हैं? सवाल यह भी है कि क्या ट्रंप के बयान को केवल एक हताश नेता के बयान के रूप में देखा जाए या वाकई भारत को अफगानिस्तान में कुछ और भी करने की ज़रूरत है? ट्रंप जब अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से हटाने की बात कहते है तब सुरक्षा से जुड़े सवाल भी उठ खड़े होते हैं। निश्चित ही ऐसी कोई भी स्थिति न केवल अफगानिस्तान, बल्कि भारत के लिये भी चिंता का विषय हो सकती है।

दरअसल, अफगानिस्तान दक्षिण एशिया में भारत का अहम साथी है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध पारंपरिक रूप से मज़बूत और दोस्ताना रहे हैं। 1980 के दशक में भारत-अफगान संबंधों को एक नई पहचान मिली, लेकिन 1990 के अफगान-गृहयुद्ध और वहाँ तालिबान के सत्ता में आ जाने के बाद से दोनों देशों के संबंध कमज़ोर होते चले गए। इन संबंधों को एक बार फिर तब मजबूती मिली, जब 2001 में तालिबान सत्ता से बाहर हो गया और इसके बाद अफगानिस्तान के लिये भारत मानवीय और पुनर्निर्माण सहायता का सबसे बड़ा क्षेत्रीय प्रदाता बन गया है।

अफगानिस्तान में भारत के पुनर्निर्माण के प्रयासों से विभिन्न निर्माण परियोजनाओं पर काम चल रहा है। भारत ने अब तक अफगानिस्तान को लगभग तीन अरब डॉलर की सहायता दी है जिसके तहत वहाँ संसद भवन, सड़कों और बांध आदि का निर्माण हुआ है। वहाँ कई मानवीय व विकासशील परियोजनाओं पर भारत अभी भी काम कर रहा है। यही वज़ह है कि मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान में सबसे अधिक लोकप्रिय देश भारत को माना जाता है। जहाँ तक राजनीतिक और सुरक्षा का सवाल है तो, भारत अफगान-संचालित और अफगान-स्वामित्‍व वाली शांति और समाधान प्रक्रिया के लिये अपने सहयोग को बराबर दोहराता रहा है। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व को प्रोत्साहित करने और हिंसक घटनाओं पर तत्काल लगाम लगाने के लिये ठोस और सार्थक कदम उठाए जाने चाहिये।

इस संदर्भ में दोनों देश अधिक प्रभाव वाली 116 सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर काम करने के लिये सहमत हुए हैं जिन्हें अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में क्रियान्वित किया जाएगा।
इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पेयजल, नवीकरणीय ऊर्जा, खेल अवसंरचना और प्रशासनिक अवसंरचना के क्षेत्र भी शामिल हैं। इससे पता चलता है कि भारत कैसे अफगानिस्तान में मानवीय और विकासशील परियोजनाओं के विकास के लिये प्रतिबद्ध है, लेकिन सुरक्षा के मसलों पर क्या कुछ किया जा सकता है, यह अभी भी भारत के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

 

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