इस साल होंगी 16 लाख नौकरियां कम: रिपोर्ट

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नई दिल्ली। महंगाई से जूझ रहे देश को चिंता में डालने वाली खबर यह है कि वित्तीय वर्ष 2020 में पिछले साल की तुलना में करीब 16 लाख नई नौकरियां कम होने का अनुमान जताया गया है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक इकॉनमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 में देशभर में EPFO डाटा के मुताबिक 89 लाख नई नौकरियां मिलीं, जो साल 2020 में घटकर देश में 73 लाख रहने की आशंका है। एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोप्रैप के अनुसार, कुछ राज्यों जैसे असम और राजस्थान में प्रेषण में कमी आई है, जिससे कॉन्ट्रैक्चुअल मजदूरों की संख्या में कमी आने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 19 में भारत ने 89.7 लाख नए पेरोल बनाए थे। वित्त वर्ष 2020 में अनुमान के मुताबिक यह संख्या कम से कम 15.8 लाख हो सकती है'।

गौरतलब है कि EPFO डेटा मुख्य रूप से कम वेतन वाली नौकरियों को कवर करता है जिसमें वेतन 15,000 रुपये प्रति माह है. रिपोर्ट द्वारा अप्रैल-अक्टूबर 2019 के दौरान की गई गणना के अनुसार, एक्चुअल नेट न्यू पेरोल 43.1 लाख था जो वार्षिक रूप से वित्त वर्ष 2020 में 73.9 लाख हो गया है.


ईपीएफओ डेटा सरकारी नौकरियों, राज्य सरकार की नौकरियों और निजी नौकरियों को कवर नहीं करता है क्योंकि इस तरह के डेटा 2004 से राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में चले गए हैं.


रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीएस श्रेणी में भी, राज्य और केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2020 में 39,000 से भी कम नई नौकरियों की पेशकश करने की उम्मीद हैं. ऐसी इसीलिए क्‍योंकि असम, बिहार, राजस्थान, ओडिशा और यूपी जैसे राज्यों में प्रेषण में गिरावट है.


ये भी कहा गया कि दिवालियापन की कार्यवाही के तहत मामलों के समाधान में देरी के कारण कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्चुअल मजदूरों की संख्या में कमी कर रही है.


रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पिछले पांच सालों में कुल उत्पादकता वृद्धि 9.4 प्रतिशत से 9.9 प्रतिशत के बीच स्थिर रही है. उत्पादकता में यह धीमी वृद्धि कम वेतन वृद्धि का कारण बन रही है.


ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में ये स्थिति अर्थव्यवस्थाओं और राजकोषीय प्रणालियों के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा कर सकती है.

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