छत्तीसगढ़ का ऐसा गांव जहां होली मनाने पर लगा प्रतिबंध, कई वर्षों से चली आ रही है ये परंपरा

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के ग्राम पंचायत पुरेना का आश्रित ग्राम खरहरी, जहां के निवासी पिछले कई दशकों से होली नहीं खेल रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक कई साल पहले जब उनके पूर्वजों द्वारा होलिका दहन गांव में किया जा रहा था, ठीक उसी समय उनके घर भी जलने लगे थे। ग्रामीण घरों में लगी आग को किसी दैवीय प्रकोप का नतीजा मान बैठे। यही कारण है कि तब से लेकर आज तक पूरे गांव में होली के दिन सन्नाटा पसरा रहता है।

दैवीय प्रकोप समझकर ग्रामीण नहीं मनाते होली
ग्रामीण यह भी बताते हैं कि होली के दिन गांव का ही एक युवक होली खेलकर पड़ोसी गांव से अपने गांव खरहरी पहुंचा। घर पहुंच कर उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद से ग्रामीण दहशत में आए और कभी होली न खेलने का प्रण ले लिया। ग्राम खरहरी के ग्रामीण होली न खेलने के पीछे एक दैवीय प्रकोप को भी मानते हैं।

ग्रामीणों ने लिया ऐसा फैसला
ग्रामीणों के मुताबिक गांव के करीब आदिशक्ति मां मड़वारानी का मंदिर स्थित है। एक ग्रामीण के अनुसार देवी ने उसे स्वप्न दिया कि उनके गांव के लोग होली न मनाए और उसी को दैवीय भविष्यवाणी मानकर पीढ़ी दर पीढ़ी होली का पर्व न मनाने का यहां के ग्रामीणों ने फैसला कर लिया। समाज में होली पर्व पर चली आ रही परंपरा का पालन करने में बच्चे भी पीछे नहीं हैं। बच्चे भी अपने बुजुर्गों के बताई बातों का पालन करते हैं। वहीं दूसरे गांव से खरहरी गांव शादी हो कर पहुंची नई बहुएं भी गांव की परंपरा का पालन करती हैं।

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