छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ा झटका, न्यायालय ने आरक्षण पर लगाई रोक

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार को बड़ा झटका दिया है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन और न्यायमूर्ति पीपी साहू की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत किए जाने के फैसले पर रोक लगा दी है। पीठ ने एक अक्टूबर को याचिकाओं में सुनवाई पूरी कर निर्णय को सुरक्षित रखा था। राज्य में आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 90 प्रतीशत कर दिया गया था, जिसे संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन माना जा रहा है।

आरक्षण के लिए संघर्ष रहेगा जारी..
अदालत के इस निर्णय के बाद सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य की आबादी के अनुपात को देखते हुए पिछड़ा वर्ग के लिए हमने आरक्षण की सीमा बढ़ाई थी, जिस पर न्यायालय ने रोक लगा दी, लेकिन इसके लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम न्यायालय के सामने उचित साक्ष्य और तर्क प्रस्तुत करेंगे। राज्य शासन ने चार सितंबर 2019 को अध्यादेश जारी कर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को 27 प्रतिशत कर दिया था। इससे एसटी, एससी व ओबीसी को मिलाकर कुल आरक्षण 82 प्रतिशत से अधिक हो गया है।

4 सितंबर के अध्यादेश पर रोक लगाई...
इसके अलावा महिला, दिव्यांग व अन्य वर्ग के लिए प्रावधान जोड़ने पर आरक्षण 90 प्रतिशत हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने एक अक्टूबर को सभी याचिकाओं में एक साथ सुनवाई पूरी कर निर्णय के लिए सुरक्षित रखा था। सरकार की ओर से जो डाटा पेश किया गया वह केन्द्र सरकार का है। यहां लागू नहीं होता है। पीठ ने मामले को शुक्रवार को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा गया था। याचिकाकर्ताओं व शासन के अधिवक्ताओं की उपस्थिति में कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य शासन के 4 सितंबर के अध्यादेश पर रोक लगा दी है। अदालत के इस आदेश को सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि इस मामले को लेकर राज्य में सियासत शुरू से ही गर्म है।

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