"स्वतंत्र देव सिंह" पर भाजपा का दांव

संपादकीय

पिछड़ा कार्ड को मजबूती भाजपा ने परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दी है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले स्वतंत्र देव को कमान सौंपकर पार्टी ने अपना 2017 का फार्मूला दोहराया है। भाजपा ने पिछला विधानसभा चुनाव पिछड़ी जाति के केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में ही लड़ा था और भारी सफलता हासिल की थी। जिसको ध्यान में रखकर इस बार पुन ये योजना दोहराने की तैयारी कर रहे है।

अगर बात करें स्वतंत्र देव की तो वह पूर्वांचल के मीरजापुर के मूल निवासी हैं, लेकिन उनकी कर्मभूमि बुंदेलखंड रही। इस ताजपोशी से भाजपा ने पिछड़े वर्ग के साथ ही प्रदेश के दो अंचलों को भी साधा है। स्वतंत्र पिछड़े वर्ग में कुर्मी समाज से आते हैं। प्रदेश में इस बिरादरी के भाजपा के छह सांसद और 26 विधायक हैं। स्वतंत्र की ताजपोशी ऐसे समय हुई है जब सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री न बनाये जाने से कुछ खफा मानी जा रही है। इतना ही नहीं सूबे में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी इसी समाज के हैं। जातीय समीकरण को मजबूत करने में स्वतंत्र देव बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी सहायक साबित हुए थे।

अपने बयान में भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष व परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि संगठन ने जो जिम्मेदारी मुझे दी है उसका निर्वहन पूरी तन्मयता के साथ करूंगा। हर कार्यकर्ता की बात पूरी गंभीरता से सुनी जाएगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मंगलवार को पहडिय़ा में पार्टी के प्रशिक्षण वर्ग शिविर में पत्रकारों से मुखातिब थे। कहा कि संगठन और सरकार में बेहतर तालमेल स्थापित करने के हर प्रयास करूंगा। सदस्यता अभियान का लक्ष्य निर्धारित है, उसे पूरा करने का प्रयास करूंगा। स्वतंत्रदेव को नई जिम्मेदारी दिए जाने की सूचना प्रशिक्षण वर्ग के दौरान ही मिली। इसके साथ ही वहां मौजूद काशी क्षेत्र के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने स्वागत और सम्मान का जोरदार सिलसिला शुरू किया जो शाम को क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचने तक जारी रहा। भाजपा का यह दांव कितना सही साबित होता है यह तो चुनाव के बाद साफ हो पाएंगा।

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