छत्तीसगढ़ी निर्माता निर्देशकों ने राजनांदगांव शहर के कमल टॉकीज़ के सामने किया धरना प्रदर्शन

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कल छत्तीसगढ़ फिल्म जगत से जुड़े कलाकार और निर्माता निर्देशकों ने राजनांदगांव शहर के कमल टॉकीज़ के सामने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने टॉकीज संचालक पर अनुबंध तोड़ने का आरोप लगाया।

छत्तीसगढ़ फिल्म कलाकारों का विरोध
छत्तीसगढ़ी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर टॉकीज़ संचालकों के द्वारा तवज्जों नहीं दिए जाने को लेकर छत्तीसगढ़ फिल्म कलाकारों, निर्माता, निर्देशकों में नाराजगी देखी जा रही है। हाल ही में कमल टॉकीज में छत्तीसगढ़ी फिल्म महु कुवारी तहुं कुंवारा का प्रदर्शन किया जा रहा था। इस फिल्म को लगभग 2 सप्ताह चलाने के बाद संचालक के द्वारा उतार दिया गया और उसकी जगह स्टूडेंट ऑफ द ईयर फिल्म का प्रदर्शन शुरू कर दिया गया।

फिल्म हाटने और तोड़ने का आरोप
छत्तीसगढ़ी कलाकार और निर्माता-निर्देशकों ने कल राजनांदगांव पहुंचकर प्रबंधन पर अनुबंध के बाद भी फिल्म हाटने और तोड़ने का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। फिल्म जगत से जुड़े लोगों ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों को तवज्जो नहीं दिये जाने का आरोप भी थिएटर संचालक पर लगाया। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में न्यायालय की शरण में जाएंगे और टॉकीज़ का लाइसेंस निरस्त करायेंगे।

टॉकीज में फिल्म का संचालन बंद
छत्तीसगढ़ी फिल्म के अनुबंध के बाद भी हटाकर बॉलीवुड के फिल्म लगाने का विरोध कर रहे कलाकारों की जानकारी होने पर पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए थे। वहीं कोई भी हिंसक घटना ना हो इस वजह से टॉकीज में फिल्म का संचालन भी बंद रखा गया था। पुलिस प्रशासन के द्वारा मौके पर पहुंचकर कलाकारों को समझाइश देने की कोशिश की गई लेकिन कलाकार मौके पर ही डटे रहे।

टॉकीज के संचालक का क्या है कहना
छत्तीसगढ़ी फिल्म हटाकर बॉलीवुड की फिल्म लगाने को लेकर टॉकीज के संचालक आरके राठी का कहना है कि आज के दौर में कोई भी फिल्म 2 हफ्ते तक बमुश्किल ही चल पाती है, ऐसे में यह छत्तीसगढ़ी फिल्म 2 हफ्ते तक चल गई थी, क्योंकि इसके टक्कर में कोई दूसरी फिल्म नहीं आई थी। इस वजह से फिल्म चल रही थी, लेकिन स्टूडेंट ऑफ द ईयर फिल्म आने के बाद इस फिल्म को प्रदर्शित करना ही व्यवसायिक दृष्टिकोण से ठीक था। अनुबंध तोड़े जाने के मामले को लेकर आरके राठी ने इस तरह का कोई भी बंधन नहीं होने की बात कही।

कलाकारों के हित में बेहतर काम करने की मांग
राजनांदगांव के कमल टॉकीज़ सहित प्रदेश के 23 टॉकीज़ों में उक्त छत्तीसगढ़ी फिल्म का प्रदर्शन 26 अप्रैल से शुरू किया गया था। जिसमें से महज राजनांदगांव के कमल टॉकीज़ के संचालक ने ही इस फिल्म को टॉकीज़ से हटाया। यही कारण था कि राजनांदगांव में प्रदर्शन करने प्रदेश भर के कलाकार, निर्माता-निर्देशक पहुंचे थे। कड़ी धूप में खड़े होकर वह हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी करते रहे। वहीं अन्य राज्य में 90 दिन तक स्थानीय फिल्मों को दिखाएं जाने का हवाला देकर भी उन्होंने प्रदेश की सरकार से इस मामले पर संज्ञान लेकर कलाकारों के हित में बेहतर काम करने की मांग की है।

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