इस मंदिर में निभाई जाती है राम-जानकी विवाह की परंपरा

छत्तीसगढ़

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी और श्रीराम के ननिहाल माने जाने वाले रायपुर के बनियापारा में संभवत : देश का ऐसा इकलौता राम-जानकी मंदिर है, जहां श्रीराम-सीता विवाह की त्रेतायुग की परंपरा निभाई जाती है।

250 साल पुराना यह मंदिर श्री गोपीदास राम-जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। लगभग 40 साल पहले महंत स्व.अभिलाष दास ने अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन भगवान का विवाह कराने की रस्म निभाई थी।

विवाह के तीन दिन पहले से महिलाएं मंदिर में प्रतिष्ठापित माता सीता के पैरों और फिर स्वयं अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं। विवाह के गीत गाकर खुशियां मनाती हैं और विदाई गीत भी गाती हैं। रिसेप्शन रूपी भंडारे में सैकड़ों भक्त इस साल भी 12 दिसंबर को भोजन ग्रहण करेंगे। रायपुर से लगे चंदखुरी गांव में भगवान राम का ननिहाल है, इसलिए भी यहां विवाह-उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।


तीन मठ-मंदिरों में एक जैसी प्रतिमाएं

श्री गोपीदास राम जानकी मंदिर सेवा समिति के संयोजक महंत राजीव नयन शरण महाराज ने बताया कि 250 साल पहले बनियापारा एक छोटी-सी बस्ती थी। इसके आगे घनघोर जंगल था। मंदिर के महंतों में से प्रमुख महंत गोपीदास ने मंदिर का निर्माण करवाया था। उस दौरान रायपुर में दूधाधारी मठ, जैतूसाव मठ, नागरीदास मठ और गोपीदास राम-जानकी मंदिर ही हुआ करते थे। इन मंदिरों में एक ही शैली में श्रीराम, लक्ष्मण, सीताजी की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित हैं।

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